बहुत समय पहले की बात है, किसी रास्ते से जाता हुआ एक
शिल्पकार बहुत थका हुआ था| उसे रास्ते में एक बहुत बड़ा बरगद का वृक्ष मिला, वह वहीँ पर रुक गया और विश्राम करने लगा तभी उसकी नजर अचानक एक पत्थर
पर पड़ी, उसने पत्थर को उठाकर अपने
सामने रख लिया, और अपने थैले से छेनी-हथौड़ी निकालकर उस पत्थर को
तराशने के लिए जैसे ही पत्थर पर पहला वार करके दूसरा वार करना चाहा पत्थर जोर से
चीखने-चिल्लाने लगा- ‘’मुझे मत मारो’’ – ‘‘मुझे मत
मारो’’, शिल्पकार वहीँ पर रुक गया और पत्थर को छोड़ दिया|
अन्य कहानियां यहाँ से प्राप्त करें HindiShikhar
कुछ समय आराम करने के बाद उसे एक और पत्थर वहीँ पर
दिखायी दिया, उस राही ने पत्थर को छेनी-हथौड़ी से तराशा| वह टुकड़ा बिल्कुल नहीं चिल्लाया और चोट सहता रहा| पत्थर को तराशते-ही-तराशते उससे एक बहुत ही सुन्दर देवता की मूर्ति
उभरकर बाहर आ गयी| वह राहगीर उस मूर्ति को उसी छायादार वृक्ष के निचे
रखकर चला गया|
कई वर्षों के बाद वही
शिल्पी जब उस बरगद के वृक्ष के पास से गुजरा तो उसने वहाँ पर कुछ अलग ही नजारा
देखा, वहां उसने देखा कि मैंने जहां पर कई वर्षों पहले
विश्राम किया था और एक पत्थर को तराशा था उस पत्थर यानि उस देवता की मूर्ति की लोग
पूजा-अर्चना करने लगे थे भजन-कीर्तन आरती हो रही थी, इतना ही नहीं और भक्तों की
लम्बी पंक्तियों में लगे सभी लोग अपनी-अपनी बारी का इंतजार करते नजर आ रहे थे पहला
पत्थर जो तराशने से पहले चिल्लाया था, जिसे शिल्पकार ने फेंक दिया
था वह पत्थर वहीँ पर पड़ा हुआ था और भक्तगण उस पर नारियल फोड़ रहे थे|
कहानी का
सार
‘’Moral of the Story‘’
दोस्तों
इस कहानी का मोरल तो आप समझ ही गए होंगे लेकिन फिर भी मैं आपको बताना चाहूँगा उस
मूर्तिकार के मन में आया कि जिंदगी में कुछ बनने के लिए हमे कुछ कष्ट झेलने ही
पड़ते हैं प्रतिष्टा या सम्मान इतनी आसानी से संभव नहीं है| जो लोग डरते रहते हैं, बचकर भागना पसन्द करते हैं
उनके लिए जीवन में प्रतिष्टा है ही नहीं और वो जिन्दगी भर कष्ट सहते ही रहते हैं |
और कहानियों के लिए यहाँ क्लिक करें -HindiMe
मित्रों
आपको कहानी कैसी लगी आप आपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेन्ट बॉक्स में भेज सकते हैं या
ऊपर दिए गए FOLLOW टैब पर
क्लिक करके हमें फॉलो भी कर सकते हैं |
कई वर्षों के बाद वही
शिल्पी जब उस बरगद के वृक्ष के पास से गुजरा तो उसने वहाँ पर कुछ अलग ही नजारा
देखा, वहां उसने देखा कि मैंने जहां पर कई वर्षों पहले
विश्राम किया था और एक पत्थर को तराशा था उस पत्थर यानि उस देवता की मूर्ति की लोग
पूजा-अर्चना करने लगे थे भजन-कीर्तन आरती हो रही थी, इतना ही नहीं और भक्तों की
लम्बी पंक्तियों में लगे सभी लोग अपनी-अपनी बारी का इंतजार करते नजर आ रहे थे पहला
पत्थर जो तराशने से पहले चिल्लाया था, जिसे शिल्पकार ने फेंक दिया
था वह पत्थर वहीँ पर पड़ा हुआ था और भक्तगण उस पर नारियल फोड़ रहे थे|
और कहानियों के लिए यहाँ क्लिक करें -HindiMe
मित्रों आपको कहानी कैसी लगी आप आपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेन्ट बॉक्स में भेज सकते हैं या ऊपर दिए गए FOLLOW टैब पर क्लिक करके हमें फॉलो भी कर सकते हैं |
No comments:
Post a Comment