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Tuesday 12 July 2016

अपना फैसला अपने आप करें। "Make your own decision."


अपना फैसला अपने आप करें। "Make your own decision."

         प्रिय मित्रों मैं आज आपको एक बहुत ही छोटी स्टोरी के माध्यम से बहुत बड़ा सन्देश देना चाहता हूँ जिसे पढ़कर आपको लगेगा की वास्तव में इस छोटी स्टोरी से मैं कितना प्रभावित हुआ। दोस्तों ये स्टोरी एक वीडियो के द्वारा मेरे पास तक पहुंची थी लेकिन मैं ये कहानीआपको अपने ब्लॉग के जरिये पहुँचा रहा हूँ। तो फिर शुरू किया जाये आज का कारवां? क्या कहा आपने हाँ..! तो चलो फिर शुरू करते हैं।और हाँ हो सकता है आपने पहले ये कहानी सुनी हो। सुनी होगी तो कोई बात नहीं दोबारा भी आप इसे सुन या पढ़ सकते  हैं।
         किसी गाँव में एक धोबी रहता था जो अपना जीवन यापन कपड़े धोकर किया करता था। वो कपड़े धोने के बाद सभी ग्रामवासियों के कपड़े अपने सर पर रख कर पहुँचाता था इस काम में उसका छोटा पुत्र भी उसकी मदद करता था। धीरे-धीरे गाँव की जनसँख्या बढ़ गयी जिससे गाँव में काम और अधिक हो गया, उधर धोबी की भी उम्र ढलने लगी। तब धोबी ने सोंचा कि गधा ले लेते हैं उससे काम आसान हो जायेगा और हम कम समय में अधिक कपड़े धोकर पहुँचा सकूँगा। पिता और पुत्र दोनों गधा खरीदकर ला रहे थे। गधे की रस्सी पकड़कर पिता और पुत्र दोनों पैदल चल रहे थे। तभी एक गाँव से गुजरे, गाँव के लोग कहने लगे- "देखो ये कैसे बेवकूफ़ हैं गधा खरीदकर लाये हैं और दोनों पैदल चल रहे हैं।" गाँव के बाहर निकल कर धोबी ने सोचा वास्तव में लोग सही कह रहे थे वह तुरंत ही अपने बेटे के साथ गधे पर बैठकर चलने लगा। तब तक एक दूसरा गाँव आ गया वो वहां से गुजर ही रहा था तब उसे लोगों की आवाज सुनाई दी लोग कह रहे थे- "कैसे दोनों वेबकूफ हैं गधे की जान निकलने पर लगे हैं।" धोबी ने सोंचा लोग तो सही कह रहे हैं, गाँव पार करने के बाद धोबी तुरंत गधे से उतर गया और पुत्र को बैठा कर चल दिया आगे बढ़ने पर एक और गाँव आ गया। वहां लोगों ने कहा- "कैसा पागल लड़का है अपने बूढ़े बाप को पैदल चला रहा है और अपने आप आराम से गधे पर बैठकर जा रहा है।" गाँव निकलते ही लड़का गधे से नीचे उतर गया और तुरंत अपने पिता को गधे पर बैठा दिया, अपने आप पैदल चलने लगा।                                                               और कहानियों के लिए यहाँ क्लिक करें
          अगला गाँव आते ही लोग कहने लगे- "कैसा बाप है अपने आप आराम से गधे की सवारी कर रहा है और उस मासूम बच्चे को पैदल चला रहा है।
धोबी परेशान हो गया। गाँव के बाहर जाते ही उसे सिर्फ एक ही उपाय सूझा उसने क्या कियाVB धोबी ने गधे के चारों पैर बांध कर, गधे को बाप-बेटा दोनों कंधो पर लेकर गए। जब अपने गाँव में पहुँचे लोग बहुत हँस रहे थे।

                                                           "Moral of the story."

                                                              "कहानी का सार"

         
गधे पर सवारी, Ride on ass
      दोस्तों आप इस कहानी का मतलब तो समझ ही गए होंगे। लेकिन इस पर अगर गौर किया जाये तो इसमें बहुत बड़ा सन्देश छुपा है। इस कहानी का मोरल सिर्फ इतना ही है कि अगर आप पूरी दुनिया की बात मानेंगे तो आपको अपने जीवन में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा और आप अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाएंगे। क्योंकि आपको पता होगा कि फ्री चाय और राय हर जगह मिल जाती है। अपने हिसाब से जियो,  अपने हिसाब से प्लानिंग करो और उसे अचीव करो। इस दुनिया में जितने लोगों से मिलोगे उतने ही आपको विचार मिलेंगे और आप कन्फ्यूज़ रहेंगे कुछ भी काम करने में आपको समस्या आएगी।
दोस्तों कैसा लगा ये सन्देश, खैर जैसा भी लगा हो आप ही बताओगे। आपके भी कोई विचार हैं तो आप हमे ईमेल कर सकते हैं या फिर नीचे कॉमेंट बॉक्स में भेज सकते हैं।

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