दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहा जिस पर अमल करने से आपकी ही नहीं आपको जितने भी संपर्क में लोग हैं इस एकमात्र विचार से उन सब के जीवन में परिवर्तन आ सकता है बशर्ते इस विचार पर सही से अमल किया जाये। तो क्या आप जीवन बदलने के लिए तैयार हैं? यदि हां तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। वादा कीजिये कि आप इस विचार पर गौर करेंगे और उन सब के पास ये विचार पहुंचाएंगे जो आप के सम्पर्क में हैं, और वास्तव में जिंदगी बदलना चाहते हैं । एक बार फिर से आपको बताना चाहूँगा कि इस विचार में एक बहुत बड़ा सन्देश छुपा है जिससे आप की जिंदगी बदल सकती है। तो फिर शुरू करते हैं आज का विचार।
एक आदमी गुब्बारा बेंचा करता था। जो बेहद गरीबी में अपना जीवन-यापन कर रहा था बहुत मुश्किल से अपने घर का खर्च चला पा रहा था। वह गरीबी से तंग आ गया और आत्महत्या करने की सोचने लगा आत्महत्या करने से पहले वह एक हरे -भरे पेड़ के नीचे शान्ति से बैठ गया तभी अचानक उसके मस्तिष्क में एक अच्छा उपाय आया। वो अब गुब्बारे ही बेचेगा लेकिन एक नयी तकनीक के साथ, उसने सोंचा कि वह अब उड़ने वाला गुब्बारा बेचेगा जिससे अधिक से अधिक लोग उसकी ओर आकर्षित होंगे जिससे उसकी बिक्री बढ़ जायेगी। गुब्बारे वाले ने ऐसा ही किया उसकी बिक्री बढ़ गयी। कुछ दिन बाद उसे उड़ने वाले गुब्बारों में लाभ की जगह हानि होने लगी फिर दोबारा उस पर तंगी आ गयी। अब क्या किया जाये? वो सोंच ही रहा था कि उसके दिमाग में एक बहुत अच्छा सुझाव आया अब वो वही गुब्बारे बेचेगा जो पहले बेंचा करता था लेकिन एक नयी तकनीक प्रयोग करेगा, वह उड़ने वाले गुब्बारे और बिना उड़ने वाले गुब्बारे दोनों बेंचेगा, सादे गुब्बारे ही बेंचेगा जब उसकी बिक्री कम हो जायेगी तो वह धीरे से एक उड़ने वाला गुब्बारा हवा में छोड़ देगा जिससे बच्चे उसे देखकर उसकी ओर आकर्षित होंगे और बिक्री बढ़ जायेगी। उसने ऐसा ही किया, उसकी बिक्री भी बढ़ गयी और उसने बहुत सारा धन कमाया। अब उसका खर्च अच्छे से चलने लगा। और कहानियां-> HindiShikhar
अब वह यही करता जब बिक्री कम होती धीरे से एक गुब्बारा हवा में उड़ा देता। एक बार गुब्बारे वाला एक गली में गुब्बारे बेंच रहा था तभी एक छोटा बच्चा गुब्बारे वाले की पीछे से शर्ट खींचने लगा। गुब्बारे वाले ने बच्चे से पूंछा- "छोटू तुम्हें कौन सा गुब्बारा चाहिए?" बच्चा बोला- "अंकल क्या यह नीला वाला गुब्बारा भी हवा में उड़ेगा?" गुब्बारे वाला कहता है बेटा गुब्बारा चाहे नीला हो या पीला वो रंग की वजह से हवा में नहीं उड़ता, वो उड़ता है सिर्फ उसके अंदर भरी "हीलियम गैस" से।
"Moral of the story" "कहानी का सार"
दोस्तों इस कहानी में दो सन्देश हैं-
पहला सन्देश यह है कि जब गुब्बारे वाले के बुरे दिन थे तो उसने कोई जल्दबाजी नहीं की उसके अंदर धैर्य था उसने धैर्य से लिया तब उसके मन में नए विचार आये फिर उसका धन्धा तेजी से बढ़ने लगा। एक बार और उसे घाटा हुआ तब भी उसके अंदर धैर्य और सोचने की क्षमता थी जिससे वह अपने धंधे में कामयाब हो पाया।
और दूसरा सन्देश बहुत छोटा सा है, दोस्तों हम चाहे गोरे हों या काले, चाहे कद में लंबे हो या छोटे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, बल्कि फर्क पड़ता है सिर्फ हमारे अंदर की काबिलियत से। यदि हमारे अंदर भी कुछ अच्छा और लोगों से कुछ हटकर करने की चाहत है तो हम भी अपना लक्ष्य निर्धारित करके उसे हासिल कर सकते हैं।
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